ಹಿಂದೂಗಳ ಧಾರ್ಮಿಕ ಭಾವನೆಗೆ ಧಕ್ಕೆ ತಂದ ಆರೋಪವನ್ನ ಎದುರಿಸುತ್ತಿರುವ ಬಾಲಿವುಡ್ ವೆಬ್ ಸಿರೀಸ್ ʼತಾಂಡವ್ʼ ನಿರ್ದೇಶಕ ಅಲಿ ಅಬ್ಬಾಸ್ ಹಾಗೂ ಇತರರ ವಿರುದ್ಧ ದಾಖಲಾಗಿರುವ ಎಫ್ಐಆರ್ ರದ್ದು ಮಾಡುವಂತೆ ಕೋರಿ ಸಲ್ಲಿಸಲಾಗಿದ್ದ ಮಧ್ಯಂತರ ಅರ್ಜಿಯನ್ನ ಸುಪ್ರೀಂ ಕೋರ್ಟ್ ವಜಾಗೊಳಿಸಿದೆ. ಈ ಸಂಬಂಧ ಮುಂದಿನ ವಿಚಾರಣೆಯನ್ನ ನಾಲ್ಕು ವಾರಗಳ ಬಳಿಕ ನಡೆಸೋದಾಗಿ ಹೇಳಿದೆ.
ತಾಂಡವ್ ವೆಬ್ ಸರಣಿಯ ವಿಚಾರವಾಗಿ ವಿವಾದಗಳು ಹೆಚ್ಚಾಗುತ್ತಲೇ ಇದೆ. ಈ ವೆಬ್ ಸಿರೀಸ್ನ ವಿರುದ್ಧ ಅನೇಕ ರಾಜ್ಯಗಳಿಂದ ವಿರೋಧ ವ್ಯಕ್ತವಾಗ್ತಿದೆ. ಈಗಾಗಲೇ ದೇಶದ ವಿವಿಧ ಕೋರ್ಟ್ಗಳಲ್ಲಿ ವಿಚಾರಣೆ ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ. ನ್ಯಾ. ಅಶೋಕ್ ಭೂಷಣ್, ಆರ್. ಸುಭಾಷ್ ರೆಡ್ಡಿ ಹಾಗೂ ಎಂಆರ್ ಶಾ ನೇತೃತ್ವದ ನ್ಯಾಯಪೀಠ ಎಫ್ಐಆರ್ ರದ್ದು ಕೋರಿ ಮೊದಲು ಹೈರ್ಕೋಟ್ ಅರ್ಜಿ ಸಲ್ಲಿಸಿ ಎಂದು ಚಿತ್ರತಂಡಕ್ಕೆ ಸೂಚನೆ ನೀಡಿದೆ. ತಾಂಡವ್ ವೆಬ್ ಸರಣಿಯ ವಿರುದ್ಧ ಉತ್ತರ ಪ್ರದೇಶ, ಮಧ್ಯ ಪ್ರದೇಶ, ಕರ್ನಾಟಕ ಹಾಗೂ ಮಹಾರಾಷ್ಟ್ರ ಸೇರಿದಂತೆ ವಿವಿಧೆಡೆ ಪ್ರಕರಣ ದಾಖಲಾಗಿದೆ.
ಈ ಕಾರಣಕ್ಕೆ ಸಾಮಾಜಿಕ ಜಾಲತಾಣ ಬಿಟ್ಟ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ನಟಿ
ತಾಂಡವ್ ವೆಬ್ ಸರಣಿ ನಿರ್ದೇಶಕ ಅಲಿ ಅಬ್ಬಾಸ್ ಜಾಫರ್, ನಿರ್ಮಾಪಕ ಫರಾನ್ ಅಖ್ತರ್, ನಟ ಜೀಶಾನ್ ಅಯುಬ್, ಸೈಫ್ ಅಲಿ ಖಾನ್ ಹಾಗೂ ಅಮೆಜಾನ್ ಪ್ರೈಂ ವಿಡಿಯೋದ ಅಪರ್ಣಾ ಪುರೋಹಿತ್ ವಿರುದ್ಧ ಪ್ರಕರಣ ದಾಖಲಾಗಿದೆ. ಸಿನಿಮಾದಲ್ಲಿ ಹಿಂದೂ ಭಾವನೆಗೆ ಧಕ್ಕೆ ತರಲಾಗಿದೆ ಹಾಗೂ ಹಿಂದೂ ದೇವರಿಗೆ ಅಪಮಾನ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಎಂದು ಆರೋಪಿಸಲಾಗಿದೆ. ಸಾಕಷ್ಟು ವಿರೋಧದ ಬಳಿಕ ಸಿನಿಮಾ ತಂಡ ಕೂಡ ಕ್ಷಮೆಯಾಚಿಸಿತ್ತು.
इसे लेकर विवाद लगातार बढ़ रहा है। कई राज्यों में विरोध हो रहा है, निर्माताओं पर एफआईआर दर्ज करवाई जा रही हैं। इस बीच अमेजन प्राइम इंडिया की प्रमुख अपर्णा पुरोहित, निर्माता हिमांशु कृष्ण मेहरा, सीरीज के लेखक गौरव सोलंकी व एक्टर जीशान अयूब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सीरीज के निर्माताओं ने अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
वेब सीरीज तांडव के निर्माताओं और अभिनेता जीशान अयूब की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में वेब सीरीज के खिलाफ देश भर में दर्ज एफआईआर निरस्त करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्माताओं अग्रिम जमानत और एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि इस राहत के लिए उच्च न्यायालय जाना होगा। इस मामले पर वहीं फैसला होगा।
कई राज्यों में दर्ज की गईं एफआईआर
वहीं उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर ठेस पहुंचाने को लेकर वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्देशक व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक को नोटिस जारी किए। बता दें कि तांडव के निर्माताओं और कलाकारों के खिलाफ उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक आदि राज्यों में एफआईआर दर्ज कराई गई हैं।
उधर, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सर्वोच्च अदालत के सामने अपनी दलील रखते हुए कहा कि मैं भी इस मामले में हूं। अनुच्छेद 19A के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट आया जा सकता है। यह तय कानूनी स्थिति है।उन्होंने मांग की कि इस मामले में देश भर में दर्ज हुईं एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर कर दिया जाए। रोहतगी ने कहा कि इस देश में लोगों की भावनाएं बात-बात पर आहत होती हैं।
‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं’
सुनवाई के दौरान अभिनेता जीशान अयूब ने कहा, मैं एक अभिनेता हूं। मुझसे भूमिका निभाने के लिए संपर्क हुआ था। इस पर पीठ ने कहा, ‘आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। आप ऐसा किरदार नहीं निभा सकते हैं जो एक समुदाय की भावनाओं को आहत करता हो।’ बता दें कि वेब सीरीज के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का और एक धर्म का अपमान करने के आपराधिक मुकदमे दायर किए गए हैं। ये अपराध आईपीसी की धारा 153ए और 295 के तहत दंडनीय हैं।
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